स्वयं मरे वगैर कभी स्वर्ग नहीं जा सकते हैं!! स्वयं मरे वगैर कभी स्वर्ग नहीं जा सकते हैं!!
पेड़ हो या इन्सान अपनी जड़ों से अलग हो कर कब ज़िन्दा रह पाया है। पेड़ हो या इन्सान अपनी जड़ों से अलग हो कर कब ज़िन्दा रह पाया है।
मैने बचपन से बहुत सुना है कि आत्मविश्वास से बढकर कुछ भी नही है । परंतु बचपन से ही मुझमे मैने बचपन से बहुत सुना है कि आत्मविश्वास से बढकर कुछ भी नही है । परंतु बचपन से ह...
समाज और पुरुषों के लिए एक सवाल छोड़ जाती है क्या सचमुच औरतों को कभी खुश होना नहीं आता ? समाज और पुरुषों के लिए एक सवाल छोड़ जाती है क्या सचमुच औरतों को कभी खुश होना नहीं...
पंकज और उसका बेटा दीप दादा से रुपए लेकर मोज शोख करते। पंकज और उसका बेटा दीप दादा से रुपए लेकर मोज शोख करते।
ये लम्हा थम जाये यहाँकभी मुस्कुराकर , कभी गीत गा करकभी लम्हों को मन में सजाकर आरज़ू बस है यह कहे कल ह... ये लम्हा थम जाये यहाँकभी मुस्कुराकर , कभी गीत गा करकभी लम्हों को मन में सजाकर आर...